Motivational story - Mother working as labour but sons on higher dignified posts
सुमित्रा यादव को आप मदर इंडिया कह सकते हैं. इसलिए कि जैसे तमाम बदहाली के बाद भी भारत माता की कोख से एक से एक बढ़कर सपूत पैदा होते आए हैं, ठीक वैसा ही सुमित्रा यादव ने किया. एक पुत्र आइएएस, दूसरा इंजीनियर और तीसरा डॉक्टर. और, सुमित्रा यादव खुद? सुमित्रा यादव यानी झाड़ू लगाने वाली कर्मचारी.
सुमित्रा यादव अपनी चतुर्थ वर्गीय नौकरी से दो दिन पहले ही रिटायर हुईं. खास बात यह कि रिटायरमेंट के दिन आयोजित छोटे-से विदाई समारोह के दौरान ही यह बात सबको पता चली कि उनके बच्चे हीरा-पन्ना-मोती हैं.
सुमित्रा यादव रामगढ़ (झारखंड) में स्थित पानी की टंकी परिसर में झाड़ू लगाने की नौकरी करती थीं. उनका रिटायरमेंट का दिन आया तो सहकर्मियों ने अपनी पुरानी साथिन के लिए विदाई समारोह आयोजित करने का फैसला किया. छोटा-सा विदाई समारोह. चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के लिए और होता भी कितना है!
सीसीएल सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड रजरप्पा स्थित टाउनशिप में समारोह चल ही रहा था कि मौके पर सबसे पहले हूटर बजाती नीली बत्ती वाली गाड़ी आ रुकी. सब लोग पलट कर गाड़ी की ओर देखने लगे. अगले ही पल गाड़ी का दरवाजा खुला और उसमें से निकले सिवान के जिला पदाधिकारी महेन्द्र कुमार यादव . डीएम साहब, सीधे सुमित्रा यादव के पास जा खड़े हुए. सुमित्रा ने उन्हें गले से लगा लिया. लोग कुतूहल भरी नजरों से देखने लगे तो सुमित्रा ने खुशी और गर्व से रुंधे गले से बताया कि यह उनका बेटा है. उनकी आंखों में खुशी के आंसू आ गए, जिन्हें उन्होंने चुपचाप पोछ लिया.
थोड़ी देर बाद सुमित्रा यादव के बाकी दोनों रतन भी अपनी गाड़ियों के साथ वहां जा पहुंचे और नन्हा सा विदाई समारोह एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम में बदल गया. सुमित्रा यादव के लिए हर किसी के पास तारीफ ही तारीफ थी. सब कह रहे थे कि बच्चों के नाते इतनी ताकतवर होने के बावजूद उसने कभी किसी से ऊंची आवाज में बात नहीं की. शांत, विनम्र भाव से सेवा करती रही.
समारोह में सुमित्रा यादव ने बाकी दोनों पुत्रों का परिचय कराया. बोलीं, यह है मेरा बड़ा लड़का वीरेंद्र कुमार यादव . यह इंजीनियर है, रेलवे में. और यह है मझला धीरेंद्र कुमार यादव , हमारा डाक्टर साहब. तीसरे यानी सबसे छोटे पुत्र के बारे में तो हम पहले ही बता चुके हैः महेंद्र कुमार यादव , आइएएस, डीएम सिवान. तीनों पुत्र अलग-अलग राज्यों से वहां पहुंचे थे.
विदाई समारोह से लौटने के बाद सिवान लौटे डीएम महेंद्र कुमार यादव ने कहाकि आज हमलोग जो कुछ भी हैं वह अपनी मां के मेहनत के बदौलत ही हैं। मुझे यह कहने में कभी शर्म महसूस नहीं हुई कि मेरी मां चतुर्थवर्गीय कर्मी है और एक कार्यालय में झाडू लगाने का काम करती हैं। मुझे ही नहीं बल्कि हर बेटे को अपने मां और पिता पर गर्व होगा कि उनकी मां और परिजनों के बदौलत वे किसी बड़े मुकाम पर पहुंचे हैं।
No comments:
Post a Comment