Sikhism - The battle of Chamkaur:
Date: December 6, 1704
The Battle of Chamkaur, also known as Battle of Chamkaur Sahib, was fought between theKhalsa led by Guru Gobind Singh Ji and the Mughal forces led by Wazir Khan.Guru Gobind Singh makes a reference to this battle in his victory letter Zafarnama.
Preamble to the battle
After Guru Gobind Singh left Anandpur on the night of December 5 and 6, 1704, they had crossed the Sarsa river and stopped in Chamkaur. They asked permission of the city chief for shelter to rest for the night in theirgarhi or haveli. The older brother thought giving him shelter would be dangerous so he refused. But the younger brother gave permission to let them stay there for the night.
Despite giving assurance of safe conduct, theMughals soldiers were looking for Guru Gobind Singh, to take his head as a trophy. After learning that the party of Sikhs had taken shelter in the haveli, they laid siege upon it. The actual battle is said to have taken place outside the haveli where the Guru was resting.[4] Negotiations broke down and the Sikh soldiers chose to engage the overwhelming Mughal forces, thus allowing their Guru to escape. A gurmatta or consensus amongst the Sikhs compelled Gobind Singh to obey the will of the majority and escape by cover of night. It is alleged that the Sikh warriors were able to engage the Mughal troops in majority due to training in the Sikh martial art of Shastarvidya. All the Sikhs guarding the Guru were killed in the battle.
Zafarnama
Zafarnama or "Epistle of Victory" is a letter that was written by Guru Gobind Singh to the then Mughal Emperor Aurangzeb. Zafarnama vividly describes what happened at Chamkaur, and also holds Aurangzeb responsible for what occurred and promises he broke:
- 13: Aurangzeb! I have no trust in your oaths anymore. (You have written that) God is one and that He is witness (between us).
- 14: I don't have trust equivalent to even a drop (of water) in your generals (who came to me with oaths on Quran that I will be given safe passage out of Anandgarh Fort). They were all telling lies.
- 15: If anyone trusts (you) on your oath on Quran, that person is bound to be doomed in the end.
After his escape from Chamkaur, the exhausted Guru is said to have been carried by two Pathans (Ghani Khan and Nabi Khan) to Jatpur where he was received by the local Muslim chieftain. He later went to Dina, and stayed at Bhai Desa Singh's house, where he is said to have written "Zafarnama" in Persian, in 111 versions.
Aftermath
After finding out that the Guru had escaped, the Mughals started searching the woods and the area surrounding Chamkaur.
The Mughals hastily chased after the Guru once they realised he had escaped. Guru Gobind Singh made a last stand against the Mughals at Muktsar, but by then Aurangzeb had started to sue for peace. The Battle of Muktsar was the last battle fought by Guru Gobind Singh.
There he wrote Zafarnamah, ("the epistle of victory"), a letter to Aurangzeb in which he wrote
The Guru emphasised how he was proud that his sons had died fighting in battle, and that he had 'thousands of sons – the Singhs'. He also said that he would never trust Aurengzebagain due to his broken promises and lies.
श्री "गुरूग्रँथ" साहिब जी ……………………
'गुरुबाणी' में परम पिता 'परमात्मां' के लिये प्रयोग किये गए 16 "नाम"
🔹हरी - 50 बार
🔹राम - 1758 बार
🔹प्रभू - 1314 बार
🔹गोबिन्द - 204 बार
🔹मुरारी - 42 बार
🔹ठाकुर - 238 बार
🔹गोपाल - 109 बार
🔹परमेशर - 16 बार
🔹जगदीश - 37 बार
🔹कृशन - 8 बार
🔹नाराईण - 39 बार
🔹वाहिगुरू - 13 बार
🔹मोहन - 30 बार
🔹 भगवान - 41 बार
🔹 निरंकार - 36 बार
🔹वाहगुरू - 3 बार
1 सिक्ख = 1.25 लाख मुगल -- जानने के लिये पुरी पोस्ट पढ़ें
धरती की सबसे मंहंगी जगह सरहिंद (पंजाब), जिला फतेहगढ़ साहब में है, यहां पर श्री गुरुगोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों का अंतिम संस्कार
किया गया था।
सेठ दीवान टोंडर मल ने यह जगह 78000 सोने की मोहरे (सिक्के)
जमीन पर फैला कर मुस्लिम बादशाह से ज़मीन खरीदी थी।
सोने की कीमत के मुताबिक इस 4 स्कवेयर मीटर जमीन की कीमत 2500000000 (दो अरब पचास
करोड़) बनती है।
दुनिया की सबसे मंहंगी जगह खरीदने का रिकॉर्ड आज सिख धर्म के इतिहास में दर्ज करवाया गया है। आजतक दुनिया के इतिहास में इतनी मंहंगी जगह कही नही खरीदी गयी।
दुनिया के इतिहास में ऐसा युद्ध ना कभी किसी ने पढ़ा होगा ना ही सोचा होगा, जिसमे 10 लाख की फ़ौज का सामना महज 42 लोगों के साथ हुआ था
और जीत किसकी होती है..??
उन 42 सूरमो की !
यह युद्ध 'चमकौर युद्ध' (Battle of Chamkaur) के नाम से भी जाना जाता है जो कि मुग़ल योद्धा वज़ीर खान की अगवाई में 10 लाख की फ़ौज का सामना सिर्फ 42
सिखों के सामने 6 दिसम्बर 1704 को हुआ जो की गुरु गोबिंद सिंह जी की अगवाई में तैयार हुए थे !
नतीजा यह निकलता है की उन 42 शूरवीर की जीत होती है जो की मुग़ल हुकूमत की नीव जो की बाबर ने रखी थी , उसे जड़ से उखाड़ दिया और भारत को आज़ाद भारत का दर्ज़ा दिया।
औरंगज़ेब ने भी उस वक़्त गुरु गोबिंद सिंह जी के आगे घुटने टेके और मुग़ल राज का अंत हुआ हिन्दुस्तान से ।
तभी औरंगजेब ने एक प्रश्न किया गुरुगोबिंद सिंह जी के सामने। कि यह कैसी फ़ौज तैयार की आपने जिसने 10 लाख की फ़ौज को उखाड़ फेंका।
गुरु गोबिंद सिंह जी ने जवाब दिया
"चिड़ियों से मैं बाज लडाऊं , गीदड़ों को मैं शेर बनाऊ।"
"सवा लाख से एक लडाऊं तभी गोबिंद सिंह नाम कहाउँ !!"
गुरु गोबिंद सिंह जी ने जो कहा वो किया, जिन्हे आज हर कोई शीश झुकता है , यह है हमारे भारत की अनमोल विरासत जिसे हमने कभी पढ़ा ही नहीं !
अगर आपको यकीन नहीं होता तो एक बार जरूर गूगल में लिखे 'बैटल ऑफ़ चमकौर' और सच आपको पता लगेगा ,
आपको अगर थोड़ा सा भी अच्छा लगा और आपको भारतीय होने का गर्व है तो जरूर इसे आगे शेयर करे जिससे की हमारे भारत के
गौरवशाली इतिहास के बारे में दुनिया को पता लगे !
***कुछ आगे *##***
चमकौर साहिब की जमीन आगे चलकर एक सिख परिवार ने खरीदी उनको इसके इतिहास का कुछ पता नहीं था । इस परिवार में आगे चलकर जब उनको पता चला के यहाँ गुरु गोबिंद सिंह जी के दो बेटे शहीद हुए है तो उन्हों ने यह जमीन गुरु जी के बेटो की यादगार ( गुरुद्वारा साहिब) के लिए देने का मन बनाया ....जब अरदास करने के समय उस सिख से पूछा गया के अरदास में उनके लिए गुरु साहिब से क्या बेनती करनी है ....
तो उस सिख ने कहा के गुरु जी से बेनती करनी है के मेरे घर कोई औलाद ना हो ताकि मेरे वंश में कोई भी यह कहने वाला ना हो के यह जमीन मेरे बाप दादा ने दी है ।
वाहेगुरु....और यही अरदास हुई और बिलकुल ऐसा ही हुआ उन सिख के घर कोई औलाद नहीं हुई......
अब हम अपने बारे में सोचे 50....100 रु. दे कर क्या माँगते है । वाहे गुरु....
🙏वाहेगुरु जी का खालसा, वाहेगुरु जी की फतेह जी 🙏
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