Saturday, 30 July 2016

What should we do to improve our lives for our own good?


'साई प्रेरणा देते  हैं'

"आज का चिन्तन"

30  जुलाई 2016 

अपने स्वयं की भलाई के लिए हमें अपने जीवन में सुधार करने के लिए क्या करना चाहिए ? भगवान आज हमें प्रेम पूर्वक स्मरण दिलाते हैं।


श्री सत्य साई बाबा :

यदि कोई ईश्वर की खोज का प्रयास नहीं करता है, तो उसे कम से कम शान्ति, आनन्द (सन्तोष), प्रसन्नता (सौख्यम्) और स्वतन्त्रता की खोज करनी ही चाहिए । 

आजकल के लोग न तो इनकी खोज करते हैं और न ही यह सीखने का प्रयत्न करते हैं कि इन्हें कैसे प्राप्त किया जाय ! लट्टू बिना ठहराव के लगातार घूमता रहता है; लोग भी सदा और सर्वदा परिश्रम करते और सूखते जाते हैं परन्तु चक्कर काटने से छुटकारा नहीं पाते । 

आजकल वे केवल क्षणिक आनन्द और शान्ति प्राप्त कर पाते हैं, जो यहाँ अभी अगले मिनट में ही चला जाता है ।कष्ट आनन्द पर विराम लगा देता है, वस्तुतः आनन्द केवल कष्ट की अनुपस्थिति है । 

स्वयं को अथवा दूसरों को आनन्द या शान्ति को लौटाये बिना साल दर साल इतना अधिक चावल और गेहूँ का उपभोग करते हुए व्यक्ति को क्यों आवश्यकरूप से वर्षों तक जीवित रह कर पृथ्वी पर बोझ बने रहना चाहिए?

 पेट्रोमैक्स के प्रकाश की प्रदीप्ति तभी तीब होगी जब तुम उसमें उत्साहित शक्ति द्वारा हवा पम्प करोगे । तुम्हारा प्रकाश भी मन्द पड़ चुका है और समाप्त होने के कगार पर है, उत्साहित शक्ति द्वारा पम्प करो । 

कहने का तात्पर्य यह कि अपने स्वयं को आध्यात्मिक साधना में संलग्न रखो और अपने मन की प्रदीप्ति को तीब्रतर करो तथा प्रकाश को उन तक फैलाओ जो तुम्हारे निकट आते हैं । 


ENGLISH TEXT IS GIVEN BELOW :

OM SRI SAI RAM
SAI INSPIRES 

30 JULY 2016

What should we do to improve our lives for our own good? Bhagawan lovingly reminds us today. (This is the thought for today)  

Sathya Sai Baba

Even if one does not attempt to seek God, one can at least seek peace, joy, happiness and independence (shanti, santosha, soukhyam and swatantra)?

 People nowadays do not seek these, nor do they try to learn how to get them! The top spins perpetually and has no rest; people too pine and labor forever and ever, and have no relief from the spinning.

 The only peace and joy they get now are momentary; here now, gone the next minute. Pain puts a stop to joy; joy is but the absence of pain. 

Why must one live for years as a burden on earth, consuming so much of rice or wheat year after year, with no return in joy or peace to himself or others? 

The petromax light will shine bright only when you pump air vigorously; your light too is dim and well nigh out; pump vigorously, that is to say, engage yourself in spiritual practice and illumine your mind better and spread light on all who come near you.


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