ज्यादातर लोग अयोध्या को भगवान श्रीराम की जन्मभूमि या सन 1992 में हुए बाबरी मस्जिद विवाद तक ही जानते-समझते है। मगर इसके अलावा अयोध्या की कर्इ अन्य पहचान भी है जो कि किवदंतियों का हिस्सा है। जिसमें से एक किंवदंती के मूल में है करीब दो हज़ार साल पहले भारत के अयोध्या नगर की एक राजकुमारी का दक्षिण कोरिया के शाही परिवार से जुड़ा नाता।

प्रचलित कहानी के अनुसार करीब दो हज़ार वर्ष पूर्व अयोध्या के राजा को र्इश्वर ने सपने में आदेश दिया था कि वो अपनी बेटी सुरीरत्ना को उसके भार्इ के साथ कोरिया के किमहये शहर भेज दे। जहां उसका विवाह सुरों नामक राजा के साथ होगा। इसके बाद राजा ने अपनी 16 वर्षीय बेटी को समुद्र के रास्ते कोरिया भेज दिया। हालांकि भारत में इस पूरी किंवदंती से जुड़े ठोस दस्तावेज उपलब्ध नहीं है। मगर उत्तर  प्रदेश के पर्यटन विभाग की एक विवरण पुस्तिका में कोरिया की रानी का जिक्र है। साथ ही कोरिया में कर्इ इतिहासकारों, कहानीकारों एवं पुरातत्व विभाग के पास इस प्रकरण की पुष्टि के लिए पर्याप्त दस्तावेज उपलब्ध है। वही मैंड्रीन भाषा में उपलब्ध दस्तावेज ‘साम कुक यूसा’ में भी इसका उल्लेख है।
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उपलब्ध जानकारी के अनुसार सुरीरत्ना का विवाह 16 वर्ष की आयु में दक्षिण कोरिया के किमहये राजवंश ‘ग्योंगासांग प्रांत’ के राजकुमार सुरों के साथ हुआ था। जिसके बाद सुरीरत्ना का नाम बदल कर रानी हौ रख दिया गया था। जिनके वंशजों ने 7वीं सदी में कोरिया में विभिन्न राजघरानों की स्थापना भी की, जिन्हें ‘कारक राजवंश’ के नाम से जाना जाता है। बाद में इसी राजवंश के नाम पर कोरिया का नामाकरण हुआ था। कोरिया के पूर्व राष्ट्रपति किम डेइ जंग एवं पूर्व प्रधानमंत्री हियो जियोंग एवं जोंग पिल किम इसी राजवंश से आते थे।
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दक्षिण कोरिया में स्वयं को इस गोत्र का मानने वाले तकरीबन 60 लाख कोरियार्इ लोग है, जो वहां की वर्तमान जनसंख्या का लगभग 10 प्रतिशत है। इस कारण अयोध्या और भारत से इनका खासा लगाव है। वैसे तो वहां की सभी रानियों को सम्मान दिया जाता है किन्तु रानी हौ को वहां सबसे अधिक माना जाता है जिसका कारण है उनका नाता भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या से होना

इस बावत हजारों साल बाद वर्ष 2001 में अयोध्या के राजपरिवार का कोरिया के कारक राजवंश से जुड़ा नाता धीरे-धीरे मजबूत होता जा रहा है। कारक राजवंश के अलावा प्रत्येक वर्ष फरवरी-मार्च महीने में कर्इ दक्षिण कोरियार्इ लोग अयोध्या, रानी की जन्मभूमि आकर यहां की संस्कृति से स्वयं को जोड़ने का प्रयास करते है। वहीं उन्होंने अयोध्या की सरयू नदी के किनारे राजकुमारी सुरीरत्ना के श्रद्धांजलि स्वरूप एक पार्क का निर्माण करवाया है।

14 वर्षो के कठिन संघर्ष के बाद भले ही भगवान श्रीराम का वनवास समाप्त हो गया था किन्तु 16 वर्ष की आयु में अपने पिता का घर छोड़कर हजारों मील दूर गर्इ राजकुमारी सुरीरत्ना कभी भारत वापस नहीं लौट पार्इ। कोरियार्इ दस्तावेजों के अनुसार 57 वर्ष की आयु में वहीं उनका देहांत हो गया था।