Tourism - एक सफ़र- धर्म, आस्था, इतिहास और चमत्कार का - (भाग 2/4)
लकम्मा देवी मंदिर- गुलबर्ग
यहां भक्त मनाते है फुटवियर फेस्टिवल
वैसे तो आमतौर पर हमने किसी भी धर्म के देवी देवताओं को चढ़ावे में मिलने वाले आम दान पुण्य के बारे में ही सुना है। देश के कई धार्मिक स्थलों में हीरे-जवाहरात एवं बहुत अधिक मात्रा में नकदी चढ़ाने की ख़बरें भी आती रहती है। मगर वहीं कर्णाटक के गुलबर्ग जिले में स्थित स्थानीय लकम्मा देवी मंदिर में प्रत्येक वर्ष हजारों भक्त एक ऐसी चीज मां को भेंट में चढ़ाते है जिसके बारें में जानकर आप आश्चर्यचकित हो जाएँगे।
प्रत्येक वर्ष दीपावली के छठे दिन यहां लगने वाले मेले में हजारों की संख्या में आये भक्त जूते-चप्पलों की माला भेंट स्वरूप मां को चढ़ाते है। यहां ऐसी प्रचलित मान्यता है कि ऐसा करने से लकम्मा देवी उन्हें बहुत सी बीमारियों से छुटकारा दिलाती है। विशेषकर पैरों से जुड़ी बीमारियों से। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि देवी मां उनकी दी हुई चप्पलों को रात के समय पहनकर मंदिर के प्रांगण में घूमती है।
भक्त मां को चप्पलों के अलावा प्रसाद में कई प्रकार के शाकाहारी एवं मांसाहारी व्यंजन भी चढ़ाते है। सबसे मजेदार बात ये है कि लकम्मा देवी पर आस्था रखने वाले भक्तों में हिन्दुओं के अलावा कई मुस्लिम परिवार भी शामिल है। स्थानीय गोला गांव के निवासियों की संख्या यहां सबसे अधिक देखी जाती है। माला को पूजा पाठ के बाद मंदिर के प्रांगण के पेड़ पर टांग दिया जाता है। इस अनोखे मेले को भक्त फुटवियर फेस्टिवल के रूप में मनाते है।
वीज़ा गुरूद्वारा- जालंधर
नकली हवाई जहाज़ के बदले मिलेंगे असली में सफर के मौके
अगर आप भी अपनी पढ़ाई, नौकरी या किसी अन्य काम के लिए विदेश जाना चाहते है और वीजा न मिल पाने से परेशान है। तब एक बार इस गुरूद्वारे में मत्था जरूर टेक आए। जी हाँ ! पहली बार सुनने में भले आपको ये हास्यास्पद लगे मगर इस गुरूद्वारें में आने वाले हज़ारों श्रद्धालु तो यहीं मानते है।
जालंधर के शहीद बाबा निहाल सिंह गुरूद्वारा जिसे ‘हवाई जहाज‘ वाला गुरूद्वारा भी कहा जाता है, अपनी इसी अनोखी आस्था के लिए देश-विदेश में प्रसिद्ध है। कहते है कि जिस भी व्यक्ति को विदेश जाने में वीजा संबंधी परेशानियां आती है उनके लिए ये गुरूद्वारा किसी वरदान से कम नहीं है क्योंकि मान्यताओं के अनुसार अगर आप सच्चे मन से मन्नत मांग कर इस गुरूद्वारे में एक खिलौना रूपी हवाई जहाज़ दान करते है तो विदेश जाने की आपकी मुराद जल्द ही पूरी हो जाती है।
वैसे गुरूद्वारा के ग्रंथि इस प्रथा के बारे में कोई खास बात नहीं बता पाते। वे बस इतना ही कहते है कि ‘‘हम किसी भी प्रकार के अंधविश्वास को बढ़ावा नहीं देना चाहते मगर किसी को मना नहीं कर सकते क्योंकि लोगो का अटूट विश्वास है कि यहां उनकी विदेश जाने संबंधी मुरादें पूरी होती है।” वहीं शहीद बाबा निहाल सिंह के बारे में यहां के लोगों को ज्यादा कुछ नहीं पता है।
सिवाएं इसके की बाबा जी का जन्म 1860 में जालंधर में हुआ था। गुरूद्वारे के बाहर आपको खिलौना रूपी हवाई जहाज की कई दुकानें दिख जाएंगी। साथ ही हर साल यहां से अपनी मन्नते पूरी होने के बाद विदेशों में बस चुके लोग भी मत्था टेकने आते है।
चंडी देवी मंदिर- महासमुद
ऐसे अनोखे श्रद्धालु देखे हैं कहीं
आप ने अक्सर ऐसे मंदिरों के बारें में पढ़ा-सुना होगा जहां कभी-कभी सांप दिख जाते है। धार्मिक लोग उसे भगवान का रूप मान उसकी पूजा करने लग जाते है। मगर जंगली भालूओं के एक पूरे परिवार का रोज़ाना किसी मंदिर की संध्या आरती में शामिल होना, प्रसाद ग्रहण करना वो भी आम लोगो के साथ, शायद आपने ऐसा न सुना हो। छतीसगढ़ के महासमुद जिले के बागबहारा में स्थित भव्य चंडी मंदिर में रोज़ाना शाम ये आश्चर्यचकित कर देने वाला नज़ारा आपको देखने को मिल जाएगा।
यहां जंगली भालूओं का एक पूरा परिवार संध्या आरती में पहुंचकर अपनी उपस्थित दर्ज कराता है। ये भालू मनुष्यों की तरह हाथ जोडकर देवी की परिक्रमा करते है प्रसाद ग्रहण करते है। इस अद्भुत नजारें को देखने के लिए रोज़ाना शाम यहां सैकड़ों श्रद्धलुओं की भीड़ लग जाती है। स्थानीय प्रशासन द्वारा श्रद्धलुओं को इन भालूओं से सतर्क रहने के लिए कहा गया है। हालांकि ये भालू कभी हिंसक नहीं हुए, भालूओं के इस परिवार में कुल चार भालू है जिसमें एक नर एक मादा एवं दो छोटे बच्चे हैं।
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